Sunday, February 6, 2011

सलाम  दिल्ली   :  संतोष राव 
यह कार्यक्रम  शाम 6 बजे 102.6 mgh पर प्रसारित होता है | इस कार्यक्रम में दिल्ली से सम्बंधित बातो को बताते है | दिल्ली कैसी है , दिल्ली में क्या -क्या चीजे है | उन्हें कैसे रखा जाता है | उसके विषय में पूरी जानकारी दी जाती है |ज्यादातर हिस्टोरिकल के विषय में | दिल्ली की खूबियों को उजागर करते है | स्टूडियो में श्रोताओं को बुलाकर उनसे बातचीत की जाती है | उनके अनुभवों को बताते है उनसे पूछते है , कि दिल्ली कैसी है ,. दिल्ली में आपको क्या पसंद है |


दिल ढूंढता है : संजीव श्रीवास्तव 
 
यह कार्यक्रम रात 11 बजे 102.6 mgh में प्रसारित  होता है | इस कार्यक्रम के लिए बहुत ही हलकी -फुलकी स्क्रिप्ट लिखी जाती है | बातो को साफ़ और स्पष्ट कहा जाता है | जो श्रोताओं के दिल पर जल्दी असर करती है |और करे भी क्यूँ न कार्यक्रम का नाम ही है '' दिल ढूंढता है ''| रात के 11 बजे  शांत समय में सुनने वाले लोगों के लिए यह कार्यक्रम बहुत अच्छा है |रोमेंटिक गानों के साथ - साथ इसमें सोफ्ट गाने भी सुनाय जाते है |  ज्यादातर गाने 80 से 90 के दशक के बीच के  होते है |
एफ एम रेनबो 
एफ एम रेनबो ,आल इंडिया रेडियो द्वारा चलाया जाने वाला स्टेशन है | यह एक राष्ट्रीय रेडियो स्टेशन है जो भारत वर्ष में सुना जाता है | 15 अगस्त 1993 को  एफ एम रेनबो का आरंभ हुआ | दिल्ली में इसे 102.6 mgh पर सुना जा सकता है |  यह अपने नाम की तरह कार्यक्रम प्रस्तुत करता आ रहा है | और अपने श्रोताओं का भी मनोरंजन करता है |इस एफ एम का उद्देश्य लोगों को शिक्षित और जागरूक बनाकर उनका मनोरंजन करना भी है | इसमें हिंदी तथा शेत्रिये भाषा के गाने भी सुनायजाते है |तथा हर घंटे के बाद अंग्रेजी  बुलेटिन भी सुनाय जाते है |
90' S आउट      :-        कविता कृष्ण मूर्ति 

90's out , 98.3 FM पर सोमवार से शनिवार सुबह 11 - 2 बजे तक प्रसारित होता है | इस शो के ज्यादा श्रोता नहीं है क्योंकि  इसमें तेज तर्रार, नए  गाने नहीं बजते | पर फिर भी कविता कृष्ण मूर्ति कि एंकरिंग का ही कमल है जो दर्शक इस शो के अभिलाषी है | कविता कि भाषा भी वेसी ही है जैसे और निजी FM के एंकर की होती है| परन्तु कविता कि भाषा में एक ठहराव है जो श्रोताओं का बांधे   रखता है | इस शो में 90 के दशक के गाने बजते है |अधिकतर गाने दिल , आशिकी , प्यार से जुड़ेहोते है | गानों के पूरे हो जाने के बाद कविता उन पर कमेन्ट करती है , तथा उस गाने से रिलेटिड कुछ खास बाते बताती है |  यह मेरा सबसे पसंदीदा शो है |
 '"सनसेट समोसा"'  :-        विक्रांत
सनसेट समोसा , रेडियो मिर्ची 98.3 में सोमवार से शनिवार शाम 5 बजे प्रसारित होता है | इस कार्य क्रम की अवधि चार घंटे की है | अपने इस चार घंटे के सफ़र में यह शो खुशियाँ ,हलचल ,चुलबुलापन ,ख़ामोशी और  मस्ती  लेके चलता है कि श्रोता ये समझ नहीं पते कि कार्यक्रम कब शुरू हुआ  , और कब ख़त्म | '' सनसेट समोसा '' नाम से मशहूर यह शो विक्रांत द्वारा प्रसारित किया जाता  है | इस शो में  आलेख के लिए कम  जगह तथा  गानों के  लिए ज्यादा  जगह  दी  गई  है |    इस शो का एक फंडा है
'back to back 3 गाने ' | इस शो में ट्रेफिक जानकारी भी दी जाती है |  किसी भी बड़ी हस्ती का मजाक बनाना विक्रांत के लिए आम बात है | इसलिए शायद लोग इस कार्यक्रम को पसंद करते है क्यूंकि इसमें गाने ज्यादा बजाय जाते है |

निजी एफ एम चेनल की भाषा 

प्राइवेट एफ एम चेनल मेट्रो सिटी और उसके आसपास के शहरो में प्रसारित होते हैं , तो इनके श्रोता भी इन  क्षेत्रो से होते हैं | सुबह के समय जब हर किसी को  भाग्दोड़ रहती है ऐसे में सिमरन का कार्यक्रम प्रस्तुत करने का तरीका बहुत अच्छा है | श्रोतागण काम करते समय भी कार्यक्रम सुन सकते हैं |वह गाने चुन -चुन कर लाती  है , और एफ एम पर बजाती  है | निजी एफ एम  पर  भाषा का प्रभाव नहीं होता | निजी एफ एम की भाषा , आमतोर पर दोस्तों के बीच बोले जाने वाली भाषा है |
निजी एफ एम पर भाषा का कोई प्रभाव तथा पकड़ नहीं होती | निजी एफ एम चेनल की भाषा के लिए किसी प्रकार की आचारसंहिता नहीं है | R J  तूतडाके, चिल्लाकर , फडफडाते हुए एंकरिंग करते है | इन R J का मानना है कि अच्छी भाषा बोलकर श्रोता हमारी तरफ गौर नहीं करते है | तथा कुछ अलग ढंग से बोलने पर श्रोताओ के साथ हमारा घनिष्ट सम्बन्ध बन जाता है | निजी एफ एम चेनल का  सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि श्रोताओं को कैसे मनोरंजित करे |
सरकारी एफ एम चेनल कि भाषा 

सरकारी एफ एम चेनल की भाषा बहुत ही सभ्य तथा सलीके वाली होती है | सरकारी एफ एम का श्रोता वर्ग बहुत ही बड़ा  है | सरकारी  एफ एम चेनलो में जो भी कार्यक्रम प्रस्तुत होते है ,वह शहरी तथा गांव  दोनों के लिए होते है | सरकारी एफ एम चेनल का जन्म ही मानव को  शिक्षा , सूचना  एवं मनोरंजन के सन्दर्भ में हुआ है  |
श्रोताओं को जागरूक करने में भाषा का समझ में आना सबसे महत्वपूर्ण  है | सरकारी F M पर हिंदी, अंग्रेजी , पंजाबी और DTH 
के जरिये प्रादेशिक भाषाओँ में कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है | इनकी भाषा सभ्य तथा कसावट भरी होती है |भाषा का प्रयोग  आचार संहिता के अनुरूप ही  किया जाता है | भाषा इस प्रकार की होती है जो श्रोताओं का आसानी से समझ में आ जाये और उतनी आसानी से उनके मन मस्तिष्क में कल्पना के द्वारा बिम्बों का निर्माण कर सके |ऐसा नहीं है कि हिंग्रेजी भाषा का प्रयोग नहीं किया जाता , पर वो कार्यक्रम अधिकतर मनोरंजन प्रधान व युवा श्रोताओं के लिए होते हैं | यह श्रोताओं के करीब जाकर उनके लेबल पर बात करता है | चाहे श्रोता गांव का हो या शहर का |


Thursday, January 27, 2011

रेडियो में भाषा का स्वरुप
रेडियो एक ध्वनि का माध्यम है और इसके बिना रेडियो का प्रसारण हो ही नहीं सकता | किसी भाषा के दो रूप होते है - लिखित रूप और उच्चारित रूप | इसमें भी काफी विविधता पाई जाती है |उच्चारित भाषा के भी कई रूप हमारे सामने उपलब्ध होते है  | हम घर में जब अपने माता -पिता  या भाई-बहन के साथ बातचीत करते हैं  तो उसमे एक प्रकार कि अनौपचारिकता  होती है और कई बार हम वाक्य संरचना और व्याकरण  सम्बन्धी  नियमों  का पालन नहीं करते| इस प्रकार कि बातचीत में स्थानीय बोलियों ,सामाजिक स्तर , सांस्कृतिक पृष्ठभूमि  और शैक्षिक स्तर का भी प्रभाव पड़ता है | जैसे यदि हम अपने घर में बोलचाल में हिंदी का प्रयोग करते है तो कई बार उसमे आपकी  स्थानीय भाषा का भी समावेश हो सकता है | उदाहरण के लिए यदि आप बिहार या उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं तो आपकी वाक्य रचना और शब्दावली में भोजपुरी , अवधी और  मैथिली  का असर देखा जा सकता है | इसी प्रकार हरियाणा में हरियाणवी  ,पंजाब  में पंजाबी ,तथा  बंगाल में बंगाली बोलने के ढंग का प्रभाव पड़ता है | परन्तु जैसे ही आपके के घर में कोई मेहमान आता है तो आपके बोलने का लहजा बिलकुल बदल जाता है |आप उनसे उसी तरह बात नहीं करते जैसे अपने घर के सदस्यों से  करते है | इसमें एक औपचारिकता का समावेश हो जाता है | आप घर आने वाले व्यक्ति  का अभिवादन करते है |उनका हाल -चाल पूछते है और ढेर साडी बातें होती हैं | इसमें आमतोर पर  हम भाषा के मानक रूप का प्रयोग करते है | रेडियो कि भाषा सहज होते हुए भी औपचारिक होती है| जैसा कि आप जानते हैं कि रेडियो मैं जो कुछ बोला जाता है| इसका कारन यह है कि इससे भाषा का व्याकरण नहीं गड़बड़ाता और नपे-तुले शब्दों मैं अपनी बात श्रोताओं तक पहुंचा देते हैं| जिस प्रकार आप अपने दोस्तों से बातचीत करते हैं वैसी भाषा का प्रयोग रेडियो मैं काटना शायद संभव नहीं है| रेडियो का एक खास उद्देश्य होता है जन-जन तक सन्देश संप्रेषित करना| इसलिए आपकी भाषा ऐसी होनी चाहिए जो सबकी समझ मैं आए| इसके लिए भषा पर आपका पूर्ण अधिकार होना जरुरी है|
रेडियो मैं कई प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं| लगभग सभी रेडियो स्टेशनों से समाचार, वार्ता, नाटक और गीत-संगीत के कार्यक्रम अवश्य प्रसारित होते हैं| समाचार कि भाषा सटीक, सार्थक, निष्पक्ष और सूचनाप्रद होनी चाहिए| कम से कम शब्दों मैं ज्यादा से ज्यादा सुचना लोगों तक पहुँचाना भाषा के द्वारा ही संभव हो पता है| रेडियो 'वह', 'अन्ततोगत्वा', 'अन्योन्याश्रित', द्रष्टव्य' जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है| शब्दों का प्रयोग करते समय एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिये| इससे शब्दों के आगे-पीछे और अर्थ का अनर्थ हो जाने कि सम्भावना बनी रहती है| मसलन :

Monday, January 24, 2011

रेडियो की भाषा 

रेडियो एक  श्रव्य माध्यम है | रेडियो पर सब कुछ बोलकर प्रसारित किया जाता है| परन्तु रेडियो पर जो कुछ भी प्रसारित होता है ,वो सब लिखा जाता है| प्रसारक के हाथ में  एक आलेख होता है  |एक छोटी सी उदघोषणा " यह आकाशवाणी है " भी लिखी होती है |चाहे कार्यक्रम विवरण हो , चाहे वार्ता ,कविता , कहानी , पत्रिका ,कार्यक्रम , फरमाइशी फ़िल्मी गीतों का कार्यक्रम  या कोई अन्य कार्यक्रम , सब कुछ लिखा हुआ होता है | हर कार्यक्रम के लिए आलेख कि जरूरत होती है|
                      रेडियो कि भाषा का अर्थ है श्रव्य माध्यम कि भाषा यानि ऐसी भाषा जो रेडियो कि दृश्यहीनता कि छतिपूर्ति कर सके |  रेडियो कि भाषा में श्रोता के मस्तिष्क में " दृश्य प्रभाव " उत्पन्न करने कि छमता होनी चाहिए |ऐसी भाषा जो श्रोता के कल्पना संसार को  जागृत कर सके |
       इसे एक उदाहरण से अच्छी तरह समझा जा सकता है | जब हम यह लिखते हैं कि भाखड़ा बंद कि ऊंचाई 740 फीट है तो रेडियो पर  740 फीट बोलने से उसकी ऊंचाई का कोई बोध नहीं होता  और 740 फीट मामूली से आंकड़ा बनकर हवा में उड़ जाता है |और 740 या  340 या  940 में कोई फर्क नहीं रह जाता |लेकिन जब हम यह बोलते है कि  भाकड़ा   बांध कि ऊंचाई 'एक के उपर एक रखे तीन क़ुतुब मीनारों 'जितनी है  या कि भाकड़ा बांध कि ऊंचाई इतनी है जितनी 125  लोगों के एक के उपर एक खड़े होने से बनेगी तो हमे हमें भाकड़ा बांध कि ऊंचाई का एक दृश्य प्रभाव नज़र आता है |