Thursday, January 27, 2011

रेडियो में भाषा का स्वरुप
रेडियो एक ध्वनि का माध्यम है और इसके बिना रेडियो का प्रसारण हो ही नहीं सकता | किसी भाषा के दो रूप होते है - लिखित रूप और उच्चारित रूप | इसमें भी काफी विविधता पाई जाती है |उच्चारित भाषा के भी कई रूप हमारे सामने उपलब्ध होते है  | हम घर में जब अपने माता -पिता  या भाई-बहन के साथ बातचीत करते हैं  तो उसमे एक प्रकार कि अनौपचारिकता  होती है और कई बार हम वाक्य संरचना और व्याकरण  सम्बन्धी  नियमों  का पालन नहीं करते| इस प्रकार कि बातचीत में स्थानीय बोलियों ,सामाजिक स्तर , सांस्कृतिक पृष्ठभूमि  और शैक्षिक स्तर का भी प्रभाव पड़ता है | जैसे यदि हम अपने घर में बोलचाल में हिंदी का प्रयोग करते है तो कई बार उसमे आपकी  स्थानीय भाषा का भी समावेश हो सकता है | उदाहरण के लिए यदि आप बिहार या उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं तो आपकी वाक्य रचना और शब्दावली में भोजपुरी , अवधी और  मैथिली  का असर देखा जा सकता है | इसी प्रकार हरियाणा में हरियाणवी  ,पंजाब  में पंजाबी ,तथा  बंगाल में बंगाली बोलने के ढंग का प्रभाव पड़ता है | परन्तु जैसे ही आपके के घर में कोई मेहमान आता है तो आपके बोलने का लहजा बिलकुल बदल जाता है |आप उनसे उसी तरह बात नहीं करते जैसे अपने घर के सदस्यों से  करते है | इसमें एक औपचारिकता का समावेश हो जाता है | आप घर आने वाले व्यक्ति  का अभिवादन करते है |उनका हाल -चाल पूछते है और ढेर साडी बातें होती हैं | इसमें आमतोर पर  हम भाषा के मानक रूप का प्रयोग करते है | रेडियो कि भाषा सहज होते हुए भी औपचारिक होती है| जैसा कि आप जानते हैं कि रेडियो मैं जो कुछ बोला जाता है| इसका कारन यह है कि इससे भाषा का व्याकरण नहीं गड़बड़ाता और नपे-तुले शब्दों मैं अपनी बात श्रोताओं तक पहुंचा देते हैं| जिस प्रकार आप अपने दोस्तों से बातचीत करते हैं वैसी भाषा का प्रयोग रेडियो मैं काटना शायद संभव नहीं है| रेडियो का एक खास उद्देश्य होता है जन-जन तक सन्देश संप्रेषित करना| इसलिए आपकी भाषा ऐसी होनी चाहिए जो सबकी समझ मैं आए| इसके लिए भषा पर आपका पूर्ण अधिकार होना जरुरी है|
रेडियो मैं कई प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं| लगभग सभी रेडियो स्टेशनों से समाचार, वार्ता, नाटक और गीत-संगीत के कार्यक्रम अवश्य प्रसारित होते हैं| समाचार कि भाषा सटीक, सार्थक, निष्पक्ष और सूचनाप्रद होनी चाहिए| कम से कम शब्दों मैं ज्यादा से ज्यादा सुचना लोगों तक पहुँचाना भाषा के द्वारा ही संभव हो पता है| रेडियो 'वह', 'अन्ततोगत्वा', 'अन्योन्याश्रित', द्रष्टव्य' जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है| शब्दों का प्रयोग करते समय एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिये| इससे शब्दों के आगे-पीछे और अर्थ का अनर्थ हो जाने कि सम्भावना बनी रहती है| मसलन :

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